सुकून की तलाश में
कुछ ज्यादा ही दूर निकल आए है हम...
जो रात गुजर सकती थी
नींद की बाहों में...
उसमें तारे तोड़ने आए है हम...
जहां बोल कर चुप करा सकते थे सबको...
वहाँ ख़ामोशी से निकल आए है हम...
उन्हें लगता था कि बुरे है हम...
पर देखो तुम्हारे लिए कहां से कहां आए है हम...
-Samriti