भूलना तो जैसे आदत हो गई है,अभी जो ख्याल आया था वो क्या था। ओह !ये कैसी हालत हो गई है। बीतते लम्हे तो चले ही हैं छूटते, पर ये क्या कि कोई लम्हा ही याद नहीं । प्यासी जमीं पर कुछ बूँदें कब गिरी कब हवा हो गई याद नहीं ये सोचते सोचते कब रात बीत गई याद नहीं ।
-Anjana Vyas