मकर संक्रांति के पावन पर्व पर,
तिल संग गंगा स्नान करते हैं।
शीतल जल से नहा धोकर के,
सूर्य को जल अर्पित करते हैं।।
प्रातः जल्दी सभी उठकर के,
पूजा पाठ में ध्यान लगाते हैं।
तिल लड्डू और खिचड़ी का,
भगवान को सब भोग लगाते हैं।।
दान पुण्य में कुछ न कुछ देकर,
सबका ही आशीर्वाद पाते है।
सारे कार्यों से निपट करके,
उसके बाद में फिर कुछ खाते है।।
शीत लहर सी चलती वायु में,
सिहरन से सब ठिठुर जाते हैं।
गुनगुनी धूप में बैठकर सब लोग,
तिललड्डू,गजक का स्वाद पाते हैं।।
शाम को सब लोग मिल जुलकर,
छत पर रंग बिरंगी पतंग उड़ाते हैं।
गिले शिकवे सारे भुलाकर के,
हंसी खुशी से पूरा दिन बिताते हैं।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री