नज़र
उनकी नज़र का अंदाज़ देखिए,
करते रहे वो नज़रअंदाज़ हमे ये उनकी खता थी,
और न रख कर भी रखते हैं नज़र यह बात हमें भी पता थी।
बताते नहीं है कि इश्क है उन्हें भी,
पर फिक्र नहीं खुद की हमसे ज़्यादा उन्हें,
यह बात लफ़्ज़ों में नहीं बल्कि अंदाज़ो से बयां की।
सब पढ ले मन के भीतर का खुशी हो या हो गम,
कहते हैं कि तुम्हारे साथ सदा हैं हम ,
हां हैं बहुत शर्मीले यह बात भी नज़रों से ही बता दी।
नज़रें हैं जनाब ये कब झूठ बोलती है,
लाख छुपा लीजिए पर न छूटेगी इनसे,
आदत ए बयां की।
सृष्टि तिवाड़ी