जब हवा ये हमें छू जाती है
आखें बंद करो तो अहसास हो
सारे विषाद को हमसे कोसो दूर ले जाती है
जब हवा यह हमें छू जाती है।
अनकहे एहसास अपने रुख में बहा के
ना जाने किसे सुनाती है
जब हवा यह हमें छू जाती है।
बेरंग सी ये हवा, रंगीन बन जाती है
बिना कहे सब सुन जाती है
जब हवा हमें ये छू जाती है।
-Sakshi