अभी तक कुछ नही किया
तुम्हारे एक तरफ जाने ,
या यह सही बिसराने के बाद |
सींचती रही हूँ उमड़ते बादलों के
बीच से गिरते मोती से | रह - रह
हर क्षण ढूँढा तुम्हे ,
या यह कहो कि खुद को तुममे |
नही ! तुम कहीं न दिखे मुझे ,
या मै तुममे |
किनारे का मतलब
समझ आया |
अब तक एक भी क्षण रोक न पाई हूँ
चित्त की व्याकुलता को हृदयाघात करने से |
मगर !
अब लगता है कि बन्द कर लूँ
किवाड़ नाहक , अर्थहीन स्मरण की |