हम छांव की आस में सुनहरी धूप को खो बैठे ..
किसी की चाह के खातिर अपने आप से दूर हो बैठे..
किसी को पाने की खातिर अपने वजूद को गवा बैठे..
कितनी खूबसूरत है यह जिंदगी...
और हम मरने के खौफ से जीना भूल बैठे..
हम शायद जिंदगी का लुफ्त उठाना ही भूल गए
इसीलिए हम दूसरों के पीछे अपना कीमती वक्त गवा बैठे
फिर हम जिंदगी के आखिरी पड़ाव को शिकायत कर बैठे
अरे छोड़ो यारों दूसरे के नजरिया या तरीका
बस जी लो जिंदगी अपनी मर्जी से...
क्योंकि हम जिंदगी जीने का सलीका खो बेठे... बिंदु अनुराग
07:50 PM
26/11/22
-Bindu _Anurag