जे चाहत ही तो है ,
जो बढ़ती चली जाती है l
हर रिश्ते को अपना बनाने के लिए,
सब को अपने पीछे पीछे दौड़ाती है l
जे चाहत ही तो है ,
जो बढ़ती चली जाती है l
चलता है हर इन्सान अकेला ,
पर जे चाहत ही तो है
जो नए नए रिश्ते बनाती है l
जे चाहत ही तो है ,
जो बढ़ती चली जाती है l
बिन नाम के बन जाते है कुछ रिश्ते ,
जो सारी उम्र निभाती है l
जे चाहत ही तो है ,
जो बढ़ती चली जाती है l navita 🎼
चाहत (इच्छा / कुछ पाने की इच्छा )
-navita