इक समन्दर है इन आंखो मे
पर मै इन्हे बहाना नही चाहती।
ये मुझे ही क्यो न ले डूबे
पर मै उनका दिल दुखाना नही चाहती।।
उसे तो फर्क ही नही पड़ता
इन आंसूओ से इसलिए।
मै रोई बहुत हूँ
ये जताना नही चाहती।।
उसकी एक झलक पाने को
तकती रही यूँ सड़को को पर।
वो जा चूके है ये बताना भी मुनासिब न समझा मगर
मै ये इल्जाम उस पर लगाना नही चाहती।।
इक समन्दर है इन आंखो मे
पर मै इन आंसूओ से खुद को भीगोना नही चाहती।।
मीरा सिंह
-Meera Singh