दीदार-ए-यार में हमने कभी, मजहब नहीं देखा।
इश्क़! बेहिसाब देखा,कहीं मश्क़-ए-सितम नहीं देखा।।
#प्रेम_समर्पण
#मजहब_और_इश्क
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111829839

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