शक्ति
बड़ी शक्ति है मौन में, कहता रहा मनोज।
रखता संकट काल में, अंतर्मन में ओज।।
संस्कृति
देश-विदेशों में रहे, कभी न उतरा रंग।
अनुष्ठान व्रत जप सभी, संस्कृति के हैं अंग।
आराधना
ईश्वर की आराधना, निर्मल-मन उपवास ।
भक्ति-भाव की भावना, सहज सरल है खास।।
फल
फल की सबको कामना, वृक्षों का उपकार।
पालें-पोसें घर-धरा, उनका हो सत्कार।।
निर्मल
निर्जल जीवन कष्टमय, चाहत निर्मल नीर।
जीवन का आधार यह, कब सुलझेगी पीर।।
शक्ति
बड़ी शक्ति है मौन में, कहता रहा मनोज।
रखता संकट काल में, अंतर्मन में ओज।।