#hindipoem
मोहब्बत पैरहन-ए-गुल नहीं जो वक्त के साथ मुरझा जाए
ये वो लिबास है, जो वक्त के साथ और निखरता जाए ।
खादी का नहीं ये एहसासों से ये बुना जाए
रसीक के अल्फाजों से अगर उसे ठेस लगे तो,
दर्जी से नहीं ,
मय-ए-जज़्बात से रफू करवाया जाए।
ग़ैरत-ए-जज़्बात का जायजा ले
इससे फिजूल में ना बदला जाए,
ना दिल भर गया तो उतरन में दिया जाए ।
मोहब्बत दिल के ऊपर पहनाया एक ऐसा लिबास है,
जो जिसके नाम का एक बार पहन लिया तो उसे बार-बार ना बदला जाए
Deepti