मुझको मुझीसे वो रोज मिलाता है,
मैं जिंदा हूं मेरे अक्सको वो बताता है,
मुरझाई सी आंखोमें पलको की नमी,
मेरा साया खींचकर मुझे वो दीखाता है,
दीनभरकी थकानमें मेरा हाल पूछता है,
मेरी जिंदगीकी पहेलीको अकेले ही बुझाता है,
ऐक आईना ही मुझे सबकुछ दीखाता है,
मैं जींदा हूये ऐहसास मुझे दीलाता है!
-Daxa Bhati