दिल तो बच्चा है
जिंद पे जो अड़ा है ,
दिमाग़ का कहना कहा सुनता है
इश्क़-ए-सैलाब में बहता है
ख़्वाब-ए-आसमां में उड़ना है
बिंदास-ए-ख्वाहिशें लेकर ,
बेकाबू जज़्बात से कहा ड़रता है
वो तो नादान परिंदों जैसा है
मनमर्ज़ी-ए-हुक्म पे जो चलता है ,
क्योंकि दिल तो बच्चा है
जिंद पे जो अड़ा है ।
-© शेखर खराड़ी
तिथि-३१/६/२०२२, मई