वह ना तो साथ दे रहा है ना साथ छोड़ रहा है ।
जिंदगी की किस मंज़र पर खड़ी हूं मैं
कि उसका इंतजार तो है पर पता है वह कभी नहीं आएगा
फिर भी एक आस है दिल में मेरे के वह मेरे साथ है
कैसी यह कशमकश है जिंदगी की कि जीना है मुझे उसके संग
पर मेरे जीवन में वह नहीं है और
उसके बगैर मेरा जीना जीना ही कहां है
फिर भी मैं जी रही हूं उसकी ही बदौलत इसके ही लगाव के कारण
कि हां वह है सदा संग मेरे ..... बिंदु _अनुराग।
वह ऐसी जंजीरों में मुझे बांध गया चाहूं तो भी उसे मिल ना पाऊं
और उससे जुदा तो हो ही नहीं सकती।
जिंदगी की यह कैसी कशमकश है
कि चाहूं तो भी उसे पा ना शकु और खोना तो मैं उसे चाहती ही नहीं
०९:०३ PM
३०/०५/२२
-Bindu _Anurag