ढूँढते रह जाओगे
भरत-सा भाई लक्ष्मण-सा अनुयायी चूड़ी-भरी कलाई शादी में शहनाई बुराई की बुराई सच में सच्चाई मंच पर कविताई ग़रीब को खोली आँगन में रंगोली परोपकारी बंदे और अर्थी को कंधे ढूँढ़ते रह जाओगे
अध्यापक, जो सचमुच पढ़ाए अफ़सर, जो रिश्वत न खाए बुद्धिजीवी, जो राह दिखाए क़ानून, जो न्याय दिलाए ऐसा बाप, जो समझाए और ऐसा बेटा, जो समझ जाए ढूँढ़ते रह जाओगे
गाता हुआ गाँव बरगद की छाँव किसानों का हल मेहनत का फल मेहमान की आस छाछ का गिलास चहकता हुआ पनघट लंबा-लंबा घूँघट लज्जा से थरथराते होंठ और पहलवान का लँगोट ढूँढ़ते रह जाओगे ।
🙏🏻