कैसे भूल सकते हो तुम ...........
उस माँ से दो घड़ी कुछ बात करना
जो तेरी तकलीफ़ देखकर तुझसे ज़्यादा रोई है ,
तुझे भरपेट खिलाने को खुद भूखे पेट भी सोई है ।
दुनिया की तपिश में जिसने तुझे आँचल में छुपाया है ,
तेरी ख़ुशियों की ख़ातिर जिसने खुद को ही बिसराया है ।
उसे और कोई चाह नहीं , बस चाह एक तेरे ही मुक़ाम की ,
तेरी दौलत का लालच नहीं, बस चाहत तेरे ऊँचे नाम की ।