माँ ममता का सागर है,
पहाड़-सा विश्वास है ।
माँ बरसती बारिश सी
बूंद-बूंद में मीठा जल है ।
माँ रिमझिम फुव्वारे सी
स्नेह है, करुणा है, धैर्य है ।
माँ निस्वार्थ बहती-सी,
नदी है, झरना है, झील है ।
माँ पुष्प पुष्प में खिली सी
श्वास है, हवा है, इत्र है ।
माँ मृदु डांट-थपकी सी
चुंबन है, आलिंगन है, स्पर्श है ।
माँ उचित-अनुचित सी
खदान है, संस्कार है, गुरु है ।
माँ अपार श्रद्धा सी
कावा है, काशी है, कैलाश है ।
माँ नित्य प्रेरणा सी
बल है, उमंग है, साहस है ।
माँ ऋतु रक्षित सी
छांव है, छाता है, कबलं है ।
माँ सर्व यात्रा धाम सी
व्रत है, उपवास है, पूजा है ।
माँ हृदय पुकार सी
राम है, रब है, अल्लाह है ।
-© शेखर खराड़ी
तिथि-११/५/२०२२, मई