कुछ बीता कुछ शायद है, शेष बचा |
अब स्थिरता दो भगवन ! ,
मन विचलित हर क्षण भाग रहा ,
एक चरम वेदना हृदय लिये |
अब तो मेरे हाथो मे दो यह,
यह स्वाँस उठाये भार बहुत |
जिस पथ तुम भेजो चल ,जाऊँ ,
जिस हाल गहो मै पल जाऊँ ,
मन , बुद्धि , चरण चित तुम्हारे हो ,
हे नाथ तुम ही तुम प्यारे हो ||