सन्तो ने हमेशा मानव को चेताया है कि आत्मज्ञान की जरूरत
हर युग मे रही है जिसे हम स्वीकार नहीं करना चाहते
यदि ऐसा ना होता तो युद्धक्षेत्र में तीरों के भेदन की जगह कृष्ण अर्जुन को आत्मज्ञान का उपदेश नहीं दे रहे होते इससे ज्ञात होता है कि कर्म करते हुए भी स्वांसों में सिमरन सम्भव है ।
-गायत्री शर्मा गुँजन