Hindi Quote in Religious by Deepak Vyas

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*होलिका की कहानी* *होलिका कौन थी*
Part 2
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इसके पश्चात हिरण्यकश्यप की आज्ञानुसार उस चिता में आग लगा दी गयी। आग लगते ही प्रह्लाद हमेशा की तरह विष्णु-विष्णु का नाम जपने लगा। जैसे-जैसे अग्नि की आंच उन तक पहुँचने लगी वैसे-वैसे होलिका को उसकी तपन महसूस होने लगी। वह आश्चर्यचकित थी क्योंकि इससे पहले अग्नि ने उसे कभी ऐसा अनुभव नही करवाया था।

अब अग्नि उन तक पहुँच चुकी थी और होलिका का शरीर उस अग्नि से जलने लगा था तो वही प्रह्लाद निश्चिंत होकर बैठा था और विष्णु-विष्णु जपे जा रहा था। होलिका को यह देखकर बहुत क्रोध आया और वह चीख-चीख कर भगवान ब्रह्मा के दिए वरदान को झूठा बताने लगी।

यह देखकर भगवान ब्रह्मा ने उसे दर्शन दिए और कहा कि यह वरदान देते समय उन्होंने उससे कहा था कि यह तभी प्रभावी होगा जब वह इसे स्वयं की रक्षा करने या दूसरों की भलाई के लिए प्रयोग में लाएगी। यदि वह इस वरदान का दुरूपयोग करेगी तो यह स्वतः ही निष्प्रभावी हो जायेगा। यह कहकर भगवान ब्रह्मा अंतर्धान हो गए।

वह अग्नि बहुत ही विशाल थी और होलिका चाहकर भी उस अग्नि से नही निकल सकती थी। प्रह्लाद की रक्षा तो स्वयं नारायण कर रहे थे, इसलिये उसे कुछ नही हो रहा था। बाहर खड़े सभी सैनिक और हिरण्यकश्यप होलिका की चीत्कार सुन सकते थे लेकिन सभी असहाय थे। देखते ही देखते होलिका का शरीर उसी अग्नि में जलकर भसम हो गया जबकि भक्त प्रह्लाद सकुशल बाहर आ गया।
🙏 हर हर महादेव शिव शंभू 🙏

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