हे नारी
पति और पिता के अहसानों
पर जीने से अच्छा है
खुद का वज़ूद बनाओ... असीमित शक्तियाँ है तुम्हारे अंदर उन्हें पहचानों
और जीना सिखो खुद के दम पर... अपना घर बनाओ.. जिसे तुम अपना कह सको... दो पल में जिस जगह अपनी कद्र गवां दो...
निकल पड़ो उस जगह से
अकेले चलने की हिम्मत रखो
वरना समाज का ये तबका तुम्हें सारी सुविधाएँ दे कर तुम्हें हर बार की तरह आश्रित बना देगा
-ArUu