दो पल को ठहर जा ए-जिंदगी,
तुझे देखना है जी भर के आज।
उतारलूं नस-नस में तुझको,
रोमकूपों में सजाने भी दे।।
ठहर जाऽ न जानेमन....,तुझे देख लूँ इक बार......
लग रहा मानो ऐसे,तुम्हें देखा है पहली बार।
ले लूँ मैं तेरी बलैंया,तुम से ही मेरा ये घर-संसार।।
#आखरी_ख्वाहिश
#मैंऔरतुम
#जिंदगी
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111785195

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