मैं तुम्हारे लिए एक ख़त लिख रही हु
कम्बक्त बे वक्त लिख रही हु
न सब्र, न इंतजार , न कोई राह पर तेरा इंतजार
बस ऐसे ही मन को बे वक्त लिख रही हु
मैं तुम्हारे लिए एक खत लिख रही हु
मेरे न होने से तेरी खुशी का शब्द लिख रही हु
छत , दीवार, न घर का ठिकाना कर रही हु
बस कागज , सेहाई , में बसेरा ले रही हु
मैं तेरे लिए एक खत लिख रही
मेरे आज , न कल में , बस थोड़ा सब्र लिख रही हु
मेरे खुशाल लम्हों में, तेरे दर्द लिख रही हु
तू पा न सके मेरे आशियाने से वक्त लिख रही हु
मैं तुम्हारे लिए एक ख़त लिख रही हु
-@njali