विषय- प्रणय संग ( हाइकु ) 5 -7 - 5 = 17
प्रेम संलग्न
स्पष्ट हृदय भाव
नित्य स्पर्शित
अस्पृश्य मन
अलौकिक भावार्थ
भीतर देखें
उत्कृष्ट स्वप्न
नैसर्गिक सौंदर्य
चित्रण करें
खट्टी-मीठी सी
स्मृतियां टटोलकर
खुशियां ढूंढें
प्रणय संग
हरे-भरे वन में
अनंत घूमें
यहा श्रद्धा से
भावनाएं लेकर
करुणा रूपी
सृजन करें
अप्रतिम संबंध
मुलायम सा
बुद्ध कृपा से
आध्यात्मिक होकर
तृष्णा रहित
धृणा से दूर
संपूर्ण साथ रहेंगे
पूर्ण जीवन
-© शेखर खराड़ी
तिथि- १२/२१/२०२१