राम और रावन में अंतर क्या था?
राम तो शत्रिय था
रावण उच्चकोटी ब्राह्मण।
राम को राजपाठ दत्तक में मिला था।
रावण ने तो लंका खुद बनाई थी।
राम आज्ञाकारी बनकर अमर हुए
रावण भी तो एक राजा था।
रावण को घमंड था, उसने सीता का हरण किया।
लेकिन राम तो भगवान था,उसने सीता की क्यों अग्नि परीक्षा ली।
फिर पचात्ताप में क्यों एक पत्नीव्रत की जिन्दगी जी।
रावण को तो खुदके भाई ने मारा लेकिन वो भी तो नहीं बच पाया और विभीषण कहलाया।
राम को तो भनक भी नहीं थी रावन कैसे मरता, फिर भी सबने गुणगाण राम का ही गाया।
गलत तो दोनों ही थे फिर रावन का ही दहन क्यों?
हार तो यहाँ एक औरत की हुई है, एक मर्द की ही पूजा क्यों?
बात बहुत कड़वी है पर यह बात सच है।
हम सब के अंदर राम-रावन दोनों होते है।
वक्त बदलते ही किरदार भी बदल जाते है।
बस पच्चाताप की बात है।
अंत मे रावण भी विलीन हो गया, पीछे बच गया रामयण।
बस यह सिखा गया-
गलत कोई नहीं होता सोच गलत होती है।आज रावन का अंत नहीं होता, गलत सोच का अंत होता है। जो रावण में भी थी, और राम में भी।