ओ मितबा कभी बिहार को आना
फुर्सत मिले तो कभी रह कर जाना
आना कभी बिहार, गया को तुम मत भुल जाना
अच्छा लगे तो सुनो यारो कुछ दिन तुम ठहर कर जाना
बहुत खाए होंगे तुमने पिज़्ज़ा बर्गर
कभी लिट्टी चोखा भी तुम चख कर जाना
सच्ची प्रेम करना हो जीवन में कभी
दशरथ मांझी को तुम पढ़ कर जाना
जब भी आना बिहार तुम मितवा
जानकी का जन्मस्थान, संविधान का उत्थान पर जाना
महावीर का त्याग, और बुद्ध का मैं ज्ञान तुम खुद मे समाना
पवित्र गंगा की धार, प्यार की बौछार तुम पाना
बुद्धिमता से परिपूर्ण, परंपराओं की खान सिख जाना
गांव की गलियों में गुजरकर अभी बचपन याद कर जाना
हम बिहार तो छोड़ आये, पर तुम बिहार जरुर जाना