बेटी तुम बडी मत होना।।
कुछ सवाल उठाएगें।
कुछ परम्पराए उठाई जाएगीं,
तुम्हारी खुशी के बदले,
देवी बना दी जाएंगीं।
उनके जूठे दीलाशो मैं, तूम
अपनी हसीं मत खोना।
बेटी तुम बडी....।।
समाज के ठेकेदार,
हर चीज़ का ठेका लेते हैं।
औरत के धर्म का ठेका लेते हैं।
औरत के शर्म का ठेका लेते हैं।
ईनकी वाहियात लांछनों,
मैं दुखी मत होना।
बेटी तुम बडी...।।
बडी हो कर न तूम,
जूठा संसार बसाना।
अपने आंसू के बदले ना,
तुम घर संसार बसाना।
जिस व्यक्ति से प्यार ना हो
उस पर सती मत होना।
बेटी तुम कभी बडी मत होना।।