चलो फिर से मिलकर शहर में रैलियाँ निकालें,,,,,
ले आओ ढ़ेर सारी मोमबत्तियाँ दोस्तों ,
किसी चौराहे पर होकर इकट्ठे फिर से जला लें,,,,,
हाथों में आक्रोश भरे नारे लिखे पोस्टर्स लेकर,
आओ फिर से गली-मोहल्ले में घूम-घूमकर चिल्ला लें,,,,,
देखकर जाति-धर्म,नकारकर पीड़ा तन-मन की "उसकी",
चलो देते हुए गालियाँ समाज-शासन को ,
सामने कैमरे के अपने कीमती आँसू कुछ गिरा लें,,,,
ये तो यूँ ही होता रहेगा,,,,,
क्यूँकी,,,,
कल दिल्ली, आज मुम्बई, कल मेरे शहर में कोई ना कोई "निर्भया" आ ही जाएगी,,,,
तो क्यूँ ना उन भविष्य की "निर्भयाओं" के लिए भी ,
चलो आज ही मिलकर शोक मना लें!!😡😡😡
khushboo