तोड़ कर इन भरमी दिवारों को,
वहमों में जीना छोड़ दिया।
कैद कर खुद को खुदी में,
महफिल-ए-जाम़ पीना छोड़ दिया।।
चाहत के सभी फसानें,
जो बंटें थे रिश्ते-नातों में।
होके अलग खुद-ब-खुद ही इनसे,
मन *श्याम* नाम सों जोड़ दिया।।

#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन
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Hindi Sorry by सनातनी_जितेंद्र मन : 111746255

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