रूहानी गीत से मेरी, कलम इक रोज़ भर देना।
सुहानी शाम में उभरे, अंधेरों को हटाकर के....
द्वेषों से घिरे मन में, सुकोमल प्रीत भर देना।
पड़ी खाली बिन परछाईं ,मेरी तसबीर वर्षों से....
हो हमसायाऽ तुम मेरीऽ,भली तकदीर कर देना।
#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन
काव्यांश.....मनभावना❤️✍️