'एक थी...आरजू' न सिर्फ एक ऐसी कहानी है जिसे पढ़ने के पश्चात आप प्रेम,विश्वास,धोखे,नफरत और तड़प जैसी भावनाओं से रूबरू होंगे,अपितु यह सोचने पर भी विवश हो जाएंगे की आज के अत्याधुनिक और मॉर्डन दौर में हम अपने बच्चों को जितनी अधिक स्वतंत्रता और छूट दे रहे हैं क्या वो सही है-जायज है? आज के जमाने में झूठे और फरेबी प्यार के जाल में फंसकर अपने ही जन्मदाता से बागी हो जाने वाली नौजवान पीढ़ी की एक बहुत ही मर्मस्पर्शी दास्तान है-एक थी...आरजू!
--सत्यम मिश्रा