शीर्षक : क्या से क्या हो गये
क्या से क्या हो गये, अजनबी से जैसे
सूखे हुए फूल, बिखरे हो चमन में जैसे
कभी थे तुम, मेरे,नैनों की रौनक भरी पहचान
आज मिलते, लेकर अधरों पर अधूरी मुस्कान
क्या थे ?क्या हो गये ? कहाँ गये वो दिन ?
जब नहीं रह पाते थे, हम एक दूजे के बिन
होगी कोई मजबूरी, तभी बनी, ये आपसी दूरी
कोई परख में कमी रही, या समझ रही, अधूरी
हम तुम्हें भूल गए ऐसे, जैसे तुम भूल गये, मुझे
कुछ अनचाही शंकाओं में, हम दोनों ही है, उलझे
✍️ कमल भंसाली
-Kamal Bhansali