शीर्षक: सुन रहे ही ना भाई
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रोना रुलाना रीत पुरानी हो गई हैं भाई
हँस कर विदा करो बेटी को भाई
उन्हें भी दो आझादी वह भी इंसान हैं
तुम नही वह खुद साथी चुनेंगी सुन रहे हो ना भाई
रूढ़ि, परंपरा में कब तक अंधे रहोगे
पढ़ लिखकर भी अनपढ़ क्यों बनते हो भाई
कहना हैं मेरा सरल सरल तुम बदल जाओ
अब प्रेम विवाह को स्वीकार करो न भाई
नही रहता कोई वाद विवाद , पैसों की भी बचत
बेटी भी खुश रहती हैं अपनी उस घर मे भाई
रखा क्या हैं जाती पाती में सब एक ही लाल खून के
अब तुम ही बदल जाओ ना भाई
आज कल लड़का लड़की भी होशियार हैं
फिवचर देखकर ही शादी का फैसला किया हैं भाई
इसके फायदे भी बड़े नेक हैं , सरकार में भी आपकी इज्जत हैं
खुद दोनों की शादी कराके तुम अमर बन जाओ ना भाई
क्या इज्जत , मान सन्मान देखते हो
यह भी अच्छा काम हैं भाई
दुनियाँ तो नाम ही रखती हैं
बेटी की खुशी देखो ना भाई
मुझे विश्वास हैं तुम नेक काम करोगे
आधुनिक ता में तो आधुनिक बनोगे
नए पीढ़ी के निर्माण में सहयोग तुम करोगे भाई....
कवि मारोती गंगासागरे