शीर्षक : यादों की लहर
मौसम, हल्की बूंदों जैसी बरसात का
अफ़साना, हमारी पहली मुलाकात का
दूरियों की चाहत है, तुझे फिर याद करुं
तेरी सूरत का किसी तरह भी दीदार करुं
तुम अलसाई सी कली बन, जेहन में रहती हो
प्यार किया था, हमनें कभी, तभी मन मे रहती हो
तेरे बिन, कोई भी ख्याल, अब अपना नहीं लगता
कोई भी स्वप्न ऐसा नहीं, जिसमें तेरा चेहरा न होता
याद आती तेरे नयनों की, वो अपरिभाषित भाषा
तुम सहज रहती और छुप जाती, आशां - निराशा
हर वक्त अपना नहीं, मिलन में जुदाई का हिस्सा होता
दिन तो गुजर जाते, पर तेरे बिछड़ने का अहसास होता
लम्हां, तेरी याद का दर्द का सैलाब बन कर बहता रहता
किस लहर में, तुम हो, न हो, कभी निश्चित न कर पाता
✍️ कमल भंसाली
-Kamal Bhansali