Hindi Quote in Poem by Kazi Taufique

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तलवार जब गले तक आजाए तो शराफत कि जरूरत क्या है।
मुजरिम खुलेआम कुबूल रहे जुर्म अपना
अब गवाहो कि जरूरत क्या है।
अंधेरो के काम भी अब उजाले मे आ गए
फिर अंधेरो कि जरूरत क्या है।
खौफ तो जिंदगी के लिए था
बात जिंदगी पर आजाए तो फिर क्या है ।
जंग तो होंगी जरूर मगर
जबान है तो तलवारो कि जरूरत क्या है।

-Kazi Taufique

Hindi Poem by Kazi Taufique : 111727034
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