शीर्षक: विरही सावन
सावन का आना, पिया का न आना
तन्हां हुआ दिल, लिख रहा अफ़साना
बेदर्द हो जब बादल गरजे, मन तरसे
दिल को कैसे समझाऊँ, नयन तो बरसे
बैरन नींद भी सताये, चाहूँ तो भी न आये
कौन पहलू करवट बदलू, पिया तो याद आये
बिजरिया चमके, बंद खिड़कियों भी खुल जाये
साजन के आलिंगन की चाहत, दिल को तरसाये
मधुमणि हसरतें निंदियन को चुरा कर ले जाये
शाम ढले, दीप जले, विरहनी रात भी रास न आये
बसन्त आये या जाये, साजन बिना सेज सूनी तरसाये
क्यों नहीं साजन समझे , गई जवानी लौट कर न आये
प्रीत की रीत निभा सजनी, संदेश से साजन समझाये
देह-मन की मरीचिका में, संयम ही सदा साथ निभाये
प्रेम की ज्वाला में तन जले, पर प्यास न मिट पाये
चितवन में मोहें बसा, संगम आत्मा का अमर हो जाये
✍️ कमल भंसाली