आज मन जलद हुआऽऽ अधीर...
धीर मन जलद हुआऽऽ अधीर- टेक
देख तुम्हारी.सुरत भोली,सुन्दर भाव.सुसज्जित बोली-
सुन प्रियतम तुम्हरी हमजोली,
छुटाऽ हिम सा थीऽऽर......आज मन....
तरस रहा अर्से से था इक,बरस रहा.बिन जल बिन बिजली-
मिलन की बेला,आन सुनी जब,
धायाऽ लांघ लकीऽऽर.......आज मन....
हर्षित हो आकर्षित होकर,थिरक उठा.भायी ध्वनि थिरकन-
धा धा तिरकिट,धा धा तूना,
गाऽए राऽग गम्भीऽऽर.......आज मन....
-सनातनी_जितेंद्र मन