चलो एक नई उड़ान हम भरते हैं,
क्षितिज तक फैले हुए इस
आसमान की सैर हम करते हैं
फ़ैला हुआ है इस धरती पर
नफरतों का दरिया...
लोगों का यहां है लगा मेला,
फिर भी इस भीड़ में है हर कोई
अकेला,
चलो कुछ देर के लिए ही सही
हम सूकून की तलाश करते हैं..
चलो एक नई उड़ान हम भरते हैं...
—अमृत