शीर्षक: मान-सम्मान ही आत्म- सम्मान
आदर, मान-सम्मान ही जीवन का ज्ञान है
आत्म-सम्मान जीवन का मूल्य-विज्ञान है
न तो अभी खुशियां है, न ही कोई गम है
अभी तो चलती सांसों की आंखे भी नम है
बिन भाव का जीवन सिर्फ चलने को मजबूर है
परन्तु, कर्म की गति पर ये छोटा सा हथियार है
समय का भाव है, मूल्य का अपना स्वभाव है
पाने के लिए चुकाना, सोच का कोई अभाव है
लेनदेन में ही जिंदगी का गुजरना को यात्रा कहते
किसको कितना कुछ मिलता, उसे ही मात्रा कहते
सफलता, जीवन का सार नहीं, एक अधिकार है
असफलता से अगर प्यार नहीं तो जीवन बेकार है
ध्यान ये रहे, किसी का न कभी भी अपमान हो
व्यवहार में प्रेम रहे, वाणी में शब्दों का सज्ञान हो
✍️ कमल भंसाली