💥☀️चंचल की चंचलता!!☀️💥
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चंचल की चंचलता!! करती बड़ी है प्रचंडना
समय मिले करे सुधार, तो हो जाये बेड़ापार
मन बड़ा होता है चंचल, स्वभाव बड़ा है मनचल
पल में बन जावें चाटुकार,पल में बन जावें नाटककार
पल में रिश्ते जुड़ावे,तो पल में तुड़ावे
सच में...शब्द में...लब्ज़ में...मन में... तन में... रंग में...
अंतरंग में...मस्तिष्क में..आश में..अभिलाषा में
सब ज्ञानी सही कहते है..
चंचल शब्द बड़ा ही मनचल है,मनचला लब्ज़ भी बड़ा चंचल है,
चलचल स्वभाव बड़ा ही चंचल है,चंचल भी तो बडा छलछल है,
खतरा इस स्वभाव से पलपल है,स्वभाव से लगे की चंचल बड़ा मलमल है,
बनते कड़वाहट के दलदल है
चंचल को सम्भलना होगा,चंचल को अब समझना होगा
स्वभाव को बदलना होगा,नज़रिए को अब सँवरना होगा
लगता है अब चंचल बदल जायेगा,प्रयास अविरत रहे तो सुधर जायेगा
चंचल के चितवन में अब ज्ञान का संचार हुवा
लगता है धरती नभ मंडल से आज बड़ा सत्कार हुवा
चंचल अब लगता है जैसे पूरा सुधर गया
चंचलता को छोड़ बड़ा ही चपल हो गया
इसीलिए ज्ञानिवर कहते है...
चपल बड़ा गुणवान जो चंचलता पे बड़ा भारी है
चंचल बड़ा दुर्गुणी जो चपलता से थोड़ा खाली है
चपलता चंचलता पे हर हमेंशा बडी भारी है
आज भी ऊपर उठनेका सँघर्ष अभी जारी है
समय वक्र हो,,, संजोग हो तंग...मार की बड़ी भारी
तब आपस मे ऐसे जुड़े की लगे जन्मोजन्म की यारी
ये थी चंचल की चंचलता की बड़ी छोटी कहानी
#आर्यवर्त