मन चन्चल है,मन बाबरा,
इसको और नहीं कोई भी काम
दुनिया की कोई भी ताकत,
बना नहीं सकती तुम्हें गुलाम,
मन रूपी घोड़े की खीच कर रखो तुम लगाम!
भोग, विलास और मदिरा,
मानव ये दुश्मन है तेरा,
इन पर अगर विजय तु होगा,
बन जायेगा तेरा हर काम,
मन रूपी घोड़े की खीच कर रखो तुम लगाम!
माँ, बहन,बहू और बेटी,
हर नारी का कर सम्मान,
गलती अगर हो जाये किसी से,
कभी ना करियो तुम अभिमान,
सोच समझकर कर फैसले लेना,
जल्दबाजी का नहीं ये काम,
मन रूपी घोड़े की खीच कर रखो तुम लगाम!!
-आनन्द फौगाट