My New Poem ....!!!!
बड़ी बे-शरम-सी हो गइ है
आजकल दिल की हसरतें भी
लाख मना करने पर भी वही
उम्मीद कीए जा रही है जो
ना-मुमकीन-औ-मुश्किल हो..
पगली दीवानगी की हर सीमा
से परे हो वही चाह रही है जो
हर हालमें हर दौरमें जहाँवालो
की बद-सुलुकीका सबब रही हो..
शीरीँ फरहा लयला हीर हर एक
की खवाहीशौका सिलसिला भी
बस यही हसरतपे आमदाँ रही हो..
बनानेवाले दिल भी कया अजीब
शेह़ बनाइ है जो मुठठी भर हो के
भी सारे जहाँ की नफ़रतों पे भारी हो.!