Hindi Quote in Poem by Urmi Chauhan

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गुमसुम सी थी यह निगाहें , पलकने से रुक पड़ी ,
जीने की कैसी अब बेमतलब सी आदत लगी !

उदासी बेवजह बन बैठी थी दोस्त ,
गूंजने लगी अब दिल की तार धीमी अतरंगी !

खयालों में उलझते सवालों से होते थे परेशान ,
अनजानी इस हवा ने रुख यह कैसी बदल दी ?

आंखों से बह गया वह दर्द , कई दिनों तक जो संजोया था ,
न जाने आज एहसास अलग है, मैं भी अपने आप में नई सी !!

-Urmi

Hindi Poem by Urmi Chauhan : 111684718
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