प्यार तो उन दोनों को था।
पर, जायस एक तरफा था।।
फूटी किस्मत थीं दीवाने की।
जो उसने बात ना मानीं जमाने की।।
अपने प्यार को सच्चा मान कर, वो भाग रहा था उस लड़की के पीछे।
उसे ख्वाब से जगा कर, सच्चाई में, वापस कोंन खींचे!?
आज भी, जब कहीं भी, होता है प्यार का इजहार।
वो करने लगता है, उसी का इंतजार।
क्या प्यार को, किसी से प्यार नहीं!??
क्यू हर बार, जमाने की होती है जीत ओर दीवाने की हार।।