आज फिर अमर शहीदों की
कुर्बानी याद करो
हुए शहीद जो हँसते-हँसते
उनकी वाणी याद करो
याद करो वो भगत सिंह
जो बंदूकें बोता था
देख गुलाम भारत माता को
मन ही मन में रोता था
माँ को आजाद कराने की खातिर
क्रांति के शंख को फूँका था
जिसके शंखनाद को सुनकर
फिरंगी सीने पर साँप लोटा था
होकर भयभीत उस हुंकार से
अंग्रेजी शासन डोला था
फाँसी पर चढ़ते हुए भी वोरों का
तन-मन वसंती चोला था
देकर फाँसी सुखदेव,राजगुरु,भगत को
जन मानस को डराने का प्रयास किया
मौत को दुल्हन चुनकर वीरों ने
वंदेमातरम गान किया
देकर प्राणों की आहुति यज्ञ में
स्वतंत्रता की देवी का आवाहन किया
देकर वरदान अमरता का
भारत माता ने पुत्रों का सम्मान किया।।
-आशा झा Sakhi