महबूब के लिखे खत
कभी आखिरी नहीं होते हैं
ये तो साँसों में, दिल की
गहराई में बसे होते हैं
जब भी पढ़ो तब ही
कुछ नये से लगते हैं
हर बार शब्द वही पर
कुछ नया अहसास देते है
तरोताजा करते हैं मन को
तन उमंग से भरते हैं
तरंगित करते है दिल को
मन में हलचल मचा देते हैं
मन के सूखे उपवन में भी
खुशी के फूल खिला देते हैं
मरु भूमि से होते जीवन में
सावन की हरियाली ला देते हैं
ये खत ही होते हैं जो दूर होकर भी
पास होने का अहसास देते हैं
कहीं दूर बसे प्रियवर को
ह्र्दय के नजदीक का देते हैं।।
जब चाहें तब प्रेम की
वर्षा कर शीतलता देते हैं
बैचैन सी रूह को
एक अनोखी राहत देते हैं।।
आशा झा सखी
-आशा झा Sakhi