21 मार्च 'कविता दिवस' पर
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मेरी प्रकाशाधीन पुस्तक *ज्योतिर्गमय* से
काव्य-शक्ति हूँ मैं
वाक्य शक्ति हूँ मैं
सत्य की ध्वनि हूँ,
स्वर की आकृति हूँ
काव्य-शक्ति हूँ मैं
वाक्य शक्ति हूँ मैं
गीतों का माधुर्य हूँ,
वाणी का चातुर्य हूँ
विराट रूप की
सूक्ष्म उक्ति हूँ मैं
काव्य-शक्ति हूँ मैं
वाक्य शक्ति हूँ मैं
हर ज्ञानी ने आराधन
मेरा प्रथम किया
दिव्य शक्ति ने संस्थापन
मेरा स्वयं किया
हो जाती है मेरी
जब जिस पर अनुरक्ति
दिव्य ज्ञान की उसको
मिल जाती है युक्ति
मानव तेरा अस्तित्व,
तेरा व्यक्तित्व
है मुझको ही समर्पित,
है मुझसे ही सम्मोहित
मैं ही तेरी मृदु वक्ता हूँ,
कर्ण प्रिय श्रुति हूँ
तू मुझमें स्थिर है
तेरी सुसंस्कृति हूँ !
सिद्धि युक्ति हूँ मैं
ज्ञान शक्ति हूँ मैं
काव्य शक्ति हूँ मैं
वाक्य शक्ति हूँ मैं ।।
: नीलम वर्मा
( ऋग्वेद के मर्मस्पर्शी उद्गारों से प्रेरित)