मेरी यादों की तितली ने आसमाँ में पंख खोले है
मेरी डायरी के पन्नों ने आज फिर कुछ शब्द बोले हैं..
बिखरे हुए पन्ने जो अलमारी मे कैद होते थे
वो अब मेरे कमरे में पड़ी मेज पर मिलते हैं..
लेकिन खिड़की से आने वाली हवा से
जाने क्यु बिखर जाते हैं..
शायद इनको भी आज़ादी पसंद है..