#उज्जैन
जय शिव शंकर ''जय महाकाल'',
तीनो लोक को करे निहाल ।
इनकी शरण जो आ गया,
नसीब तो उनका छा गया ।
''हरसिद्धि'' की जय जयकार,
मन्नते पूरी करे ये हज़ार ।
''कालभैरव'' का बड़ा रुआब,
मदिरा सेवन करे ये नवाब ।
''गढ़ कालिका'' की अलग पहेचान,
निमित्त उनका बने हनुमान ।
देखी है हमने शान ''सिद्धवट'' की,
मानो है सीधी सीडी सरग की ।
''क्षिप्रा'' है इस नगरी का दिल,
निर्मल सा जल, जाए आँखोंमें मिल ।
''विक्रमदित्य''की कहानी पूरानी,
सुनी थी हमने बैताल की ज़ुबानी ।
''भर्थरी राजा'' की गुफा कमाल,
कौन है किसका करे ये सवाल ।
''ओंकारेश्वर'' है साथ बिराजे,
छोटे स्वरूपमे भी बड़े नवाज़े ।
''ममलेश्वर'' का है बडा महत्व,
शिव में लीन हो जाए हर तत्व ।
''सिंहस्थ'' यहाँ का बड़ा ही पवित्र,
बारह वर्ष की तपस्या का चित्र ।
''दाल-बाफला'' संग ''चूरमा'',
स्वाद में भी अव्वल ये मालवा ।
गरमा गरम ''दूध-जलेबी'',
भाषा भी मीठी करे ये सहेली ।
''भस्म आरती'' से हुए रूबरू,
तांडव रूप दिखे हूबहू ।
आए जब ''महाकाल'' का बुलावा,
बाकी सब लगे है छलावा । ''निधि''
''उज्जैन नगरी'' ''अवंतिका'' भी कहलाए,
''महाकाल की शान'', बेटी क्यों न इतराए ।